
Chetan Gurung

IPS और ADGP अमित सिन्हा ने आज अपने से एक बैच ऊपर और मित्र अभिनव कुमार की जगह विशेष प्रमुख सचिव की कुर्सी संभाल ली.इसके साथ ही ये कयास जन्म ले गया कि शायद नए DGP के लिए 1997 बैच के किसी भी अफसर के नाम पर विचार ही न हो.मुमकिन है कि CM पुष्कर सिंह धामी UPSC को Panel भेजे बगैर खुद ही HoPF बना दें.PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह के बेहद करीबियों में शुमार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अगर ऐसा करना चाहें तो ये ना-मुमकिन भी नहीं होगा.

अभिनव के पास खेल और युवा कल्याण महकमा था.भले वह विशेष प्रमुख सचिव की कुर्सी संभाल रहे थे, लेकिन इस हकीकत से इनकार नहीं कर सकते कि उनके पास वही जिम्मेदारी और अधिकार थे, जो किसी भी प्रमुख सचिव को दिया जाता है.इसके चलते IAS लॉबी न सिर्फ बेचैन थी बल्कि माना ये भी जाता है कि उसके चलते ही अभिनव पिछले दिनों CM के साथ UK दौरे पर नहीं जा पाए.
सूत्रों के मुताबिक अभिनव के Visa में देरी और फिर जाना ही रद्द होने की बड़ी वजह IAS लॉबी का हाथ होना था.अभिनव को मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र माना जाता रहा है.इसके चलते ही वह IAS लॉबी की अनिच्छा के बावजूद विशेष प्रमुख सचिव बने रहे.अभिनव के हटने और सिन्हा के उनकी जगह आने की खुसर-पुसर पिछले कुछ दिनों से चल रही थी.दोनों में दोस्ती किस्म की बताई जाती है.शासन में सिन्हा की Entry भी इसी वजह से हो पाई.
जो भी हो IAS लॉबी के लिए आकाश से गिरे-खजूर पर अटके वाली दशा हो गई.अभिनव तो हट गए लेकिन फिर IPS अफसर ही खेल-युवा कल्याण के Boss शासन में बन गए.ये बात दीगर है कि कई IAS अफसर इस कुर्सी पर बैठना चाह रहे थे.अगले साल उत्तराखंड में National Games होने हैं.आज IOA की मौजूदा Executive Body ने भी इस पर मुहर लगा दी.अब National Olympic माने जाने वाले NG अमित सिन्हा की देख-रेख में होंगे.
अभिनव-अमित के महकमों में जोड़-घटाव के निहितार्थ अलग-अलग निकाले जा रहे.किसी का कहना ये है कि अभिनव को शायद HoPF बनाया जा रहा है.इसलिए उनसे महकमा हटा दिया गया है.अभिनव 1996 बैच के हैं.पुलिस में Intelligence और Security उनके ही कन्धों पर है.उनका आवंटन अभी तक UP से उत्तराखंड Cadre में नहीं हुआ है.इसके चलते ये भी सोच उभर रही है कि क्या उनका नाम DGP वाले पैनल में शामिल होगा!
पैनल में उत्तराखंड Cadre के अफसर ही शामिल होने हैं.ये UPSC की बाध्यता भी है.अभिनव लेकिन राज्य बनने के पहले दिन से उत्तराखंड में हैं.उनको सभी Promotion इसी राज्य में दिए गए.उनको कभी भी अन्य Cadre की तरह नहीं लिया गया.ये पहलू उनके हक़ में जाता है.इसीलिए वह DGP के लिए भी मजबूत दावेदार समझे जा रहे हैं.उनकी असली टक्कर दीपम सेठ से समझी जा रही.
दीपम Deputation पर भारत सरकार में हैं.वह अभिनव से एक Batch Senior हैं.BJP में उनकी पुख्ता पकड़ की भी चर्चा रहती है.इन दोनों पर CM पुष्कर का यकीन न जमने पर ही 1995 बैच के ही PVK प्रसाद की लाटरी लग सकती है.अमित के विशेष प्रमुख सचिव बनने को इस तरह भी लिया जा रहा है कि DGP के लिए अब सिर्फ दीपम-PVK-अभिनव तक ही विचार किया जाएगा.अमित का नाम HoPF के पैनल में होता तो उनको SPS न बनाया जाता.
997 बैच में अमित-मुरुगेशन और संजय गुंज्याल हैं.शायद अब सरकार उनके नामों पर बतौर पैनल सदस्य विचार न ही करें.Top-3 नामों को उनकी Seniority के बिना पर पैनल में शायद ले लिया जाए.ACR में किसी की कोई कमी नहीं है.ऐसा बताया जा रहा है.योग्यता के आधार पर DGP का चयन होना है.ऐसे में जिसकी तकदीर में CM की नजरें इनायत बदी होगी, वही IPS की किसी राज्य की सबसे बड़ी और शक्तिशाली कुर्सी पर बैठने का हक़ पाएगा..
मौजूदा DGP अशोक कुमार को 30 नवम्बर को Retire होना हैं.उनको सेवा विस्तार देने की कोई फ़ाइल अभी तक बनी भी नहीं है.नए DGP के पैनल पर काम जरूर शुरू हो गया.अंदरखाने की खबर ये है कि गृह महकमे ने पैनल के लिए फ़ाइल बना के CM के पास भेज दी है.उनकी मंजूरी के बाद ही पैनल केंद्र को जाना है.PHQ ने सभी ADGP के नाम DGP के चयन के लिए शासन को भेजे हैं.
एक सम्भावना इसकी भी है कि मुख्यमंत्री शायद DGP ला पैनल UPSC को भेजे ही न.सिर्फ PM-HM की मंजूरी ले के खुद ही नए Police Chief की ताजपोशी कर दें.माना ये जा रहा है कि जंग एकदम खुली है.दीपम-PVK-अभिनव में से कोई भी महासमर फतह करने की संभावनाएं भरपूर रखता है.कोई किसी से कम नहीं है.किसी की भी उम्मीदें कमजोर नहीं आंकी जा रही.