उत्तराखंडदेहरादून

DGP की कुर्सी!अशोक को भी CS संधू की तर्ज पर Extension या सफी-दीपेश! उत्तराखंड में मौजूद एक भी IPS नहीं Eligible:गणपति की पुनर्वापसी के आसार नहीं:सभी नजरें CM पुष्कर पर टिकने लगीं

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Chetan Gurung

CM Pushkar Singh Dhami-DGP पर क्या फैसला लेंगे?

DGP अशोक कुमार के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा? क्या उनको भी Chief Secretary डॉ सुखबीर सिंह संधू की तर्ज पर Extension मिलेगा?या कभी Allotted Cadre नहीं आए सफी अहसान रिजवी या दीपेश जुनेजा की कोई उम्मीद जगती है?दोनों अर्हता रखते हैं लेकिन CM पुष्कर सिंह धामी उन पर दांव खेलेंगे, इसमें संदेह है.उत्तराखंड के IPS अफसर इस हक़ में नहीं दिखते कि किसी बाहरी को Deputation पर ला के Police Chief बना दिया जाए.अशोक की नौकरी 4 महीने बची है.सेवा विस्तार न मिला तो वह इसी नवम्बर को Retire होंगे.   

अहसान जनवरी-2026 और दीपेश फरवरी-2026 तक सेवा में हैं.दोनों में से कोई भी रिटायर होते हैं तो फिर उत्तराखंड में उनकी जगह लेने वाले उपलब्ध हैं.दिक्कत सिर्फ अभी की है.उत्तराखंड Cadre के Senior Most IPS अफसर MA गणपति हैं.वह DGP बनने के बाद ही NSG के DG बने हैं.बेहद संभावनाशील और शानदार प्रतिष्ठा रखते हैं.उनका IB-CBI-RandAW या BSF-CRPF-ITBP Chief न बनना हैरान करता है.वह मार्च-2024 को रिटायर होंगे.

गणपति तो अब शायद ही लौटेंगे लेकिन राज्य कैडर में एक भी उपलब्ध IPS कम से कम एक साल तक के लिए DGP बनने की अर्हता नहीं रखते हैं.सभी करियर रिकॉर्ड बेहतरीन रखने के साथ ही कम से कम 30 साल की सेवा पूरी करने वाले IPS ही HoD बनाए जा सकते हैं.दीपम सेठ 1995 बैच के हैं.अभी Central Deputation पर ITBP हैं.उनके बैचमेट PVK प्रसाद उत्तराखंड में ही हैं.दोनों में से किसी को भी HoD बनने के लिए कम से कम अभी डेढ़ साल का सफ़र पूरा करना होगा.

उत्तराखंड को बंटवारे में IPS अफसर तो मिले लेकिन अनेकों ने उस वक्त नए आवंटित छोटे-पहाड़ी राज्य में आना बेहतर नहीं समझा.वे या तो UP ही रुक गए.या फिर deputation पर इधर-उधर जाते रहे.ये हो सकता है कि उनको शायद तब ये अहसास नहीं रहा होगा कि UP के विशाल IPS Cadre और राज्य में वे गुम हो सकते हैं लेकिन उत्तराखंड में DGP बन जाएंगे.अब ऐन वक्त पर वे आना भी चाहें तो राज्य सरकार और CM पुष्कर उनको अशोक कुमार का उत्तराधिकारी बना देंगे, इसकी गुंजाइश शून्य के बराबर लगती है.

सफी 1990-अंजू गुप्ता-1990 और दीपेश-1992 बैच के हैं.सफी का Allotment Year 1989 है.अंजू भी इसी साल नवम्बर में रिटायर हो जाएंगी.LV एंटनी देव कुमार 1994 बैच के हैं.जनवरी-24 में वह भी DG के लिए अर्ह हो जाएँगे.वह भी कभी उत्तराखंड नहीं आए.जो कभी उत्तराखंड आए नहीं उनको बनायेंगे नहीं और जो उपलब्ध हैं वे अर्ह नहीं हैं, तो फिर अशोक के बाद DGP कौन?इसी गुत्थी के चलते ये सम्भावना भी बनी हुई है कि मौजूदा DGP क्या CS डॉ संधू की तरह CM पुष्कर का विश्वास जीत के Extension हासिल कर सकेंगे!

CS के लिए तो अर्ह IAS कई हैं लेकिन IPS में DGP के सेवा विस्तार को रोकने के लिए एक भी अर्ह IPS नहीं हैं.सेवा विस्तार CM की अनुशंसा पर केंद्र सरकार देती है.मोदी-अमित शाह के केंद्र सरकार राज में ना-मुमकिन शब्द Dictionary से बाहर कर दिया गया है.केंद्र में गैर IAS सचिव हैं.भारत सरकार से बतौर सचिव रिटायर होने के बाद दुर्गाशंकर मिश्र को डेढ़ साल से अधिक समय से UP का CS बनाया हुआ है.

डॉ संधू अकेली मिसाल नहीं हैं.उनके Extension ने उनकी ही बैचमेट ACS राधा रतूड़ी के CS बनने की डगर कांटो भरी कर दी है.रास्ते और फाटक जरूर खुले हैं.इसकी ठोस सम्भावना और दावा है कि डॉ संधू के बाद राधा के आँगन में तेल भी होगा और फूल भी खिलेंगे.CM पुष्कर उनको CS बना के लोकसभा चुनाव में जाना पसंद करेंगे.राज्य को पहली महिला CS देने की उपलब्धि का श्रेय ले के महिला वोटरों को रिझाने-लुभाने का अच्छा मौका उनके और BJP के पास होगा.

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